देहरादून, केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खुलने हैं। 43 साल बाद इस बार ऊखीमठ से बाबा केदार की डोली को वाहन से गौरीकुंड ले लिए रवाना किया गया। इससे पहले साल 1977 में बाबा केदार की डोली को ऊखीमठ से गुप्तकाशी तक ले जाया गया था। वहीं, वाहन में डोली जाने के कारण भक्त भी बाबा की डोली के दर्शन नहीं कर पाए। रविवार तड़के पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विधि-विधान से पूजा-अर्चना शुरू हुई। बाबा केदार का श्रृंगार कर भोग लगाया गया। आरती के बाद बाबा केदार की पंचमुखी मूर्ति को गर्भगृह से परिसर में लाया गया।यहां पर धार्मिक परंपराओ के बाद मूर्ति चल विग्रह डोली में विराजमान की गई। वेदपाठियों द्वारा वैदिक मंत्रोचार के बीच अन्य धार्मिक परम्पराएं पूरी की गई। इसके बाद चंद्रमा का दान किया गया। इसके बाद चल विग्रह डोली को ओंकारेश्वर मन्दिर की तीन परिक्रमा कराई गई और इसके बाद वाहन से धाम के लिए रवाना किया गया। कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए इस बार केदारनाथ यात्रा का संचालन सूक्ष्म रूप से किया जा रहा है। डोली के साथ सिर्फ 16 लोग ही धाम रवाना हुए। कपाट खोलने की पूजा में भी सिर्फ इतने ही लोग रहेंगे। इस मौके पर प्रशासन, पुलिस के अलावा सिर्फ वही लोग थे, जिन्हें पूजा-अर्चना में अनुमति दी गई थी।
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