By Amit kumar
रुड़की-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से जुड़े साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने संस्था की मुख्य प्रशासिका 104 वर्षीय दादी जानकी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।उन्होंने अपने एक ब्यान में कहा कि दादी जानकी विश्व शांति स्थापना के लिए एक महान शख्सियत रही,जिन्होंने अपना पूरा जीवन ब्रह्माकुमारीज के माध्यम से ईश्वरीय सेवा में समर्पित किया।उन्होंने बताया कि उन्हें कई बार दादी जानकी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।उन्ही की प्रेरणा से वे “आबू तीर्थ महान “पुस्तक लिखने लिख पाए और उनसे मिली सीख के बल पर श्रीमद्भागवत गीता नए रूप में लिख सका।साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि दादी जानकी विश्व की महान राजयोगिनी,शांति दूत और विश्व की सर्वश्रेष्ठ स्थिर मस्तिष्क की मालकिन रही है।जिनके आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग का पूरे विश्व ने लौहा माना।
राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के पूर्व सदस्य डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण ने कहा कि दिव्य आत्मा पूज्या दादी जानकी का जाना दुखद जरूर है,लेकिन उनका सक्रिय जीवन पूरे विश्व के लिए अमृत प्रेरणा बन गया है।ऐसी दिव्य आत्मा कभी मरती नहीं,प्रेरणा बनकर है सबको सदा प्रेरित करती हैं। वही ब्रह्मकुमारीज की स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी बीके गीता ने दादी जानकी के शरीर छोड़ने को ईश्वरीय गोद मिलना बताया व कहा कि दादी जानकी ने अपने आध्यात्मिक जीवन मे दुनिया को चरित्र निर्माण की सीख दी और लोगो को परमात्मा की याद में रहने के लिए प्रेरित किया।
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