हरिद्वार, । गायत्री तीर्थ शांतिकुंज तथा देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में भारत के समग्र विकास हेतु विशेष जप के साथ होली मनाई गयी। सैकड़ों लोगों के प्रतिनिधि के रूप में गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या व श्रद्धेया शैलदीदी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ होली पर्व का पूजन सम्पन्न कराया। इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या ने कहा कि होली एक यज्ञ है। होली नई फसल के स्वागत में किया जाना यज्ञ है। यह जाति, वर्ग भेद के उन्मूलन का महापर्व भी है। होली के अवसर पर विषमताओं-दुर्भावों को मिटाने के लिए आगे आने की जरुरत है। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि कृषि व ऋषि ने भारतीय संस्कृति की आधारशिला रखी है। होली केवल रंग खेलकर मनाया जाने वाला पर्व ही नहीं है, वरन् यह आत्मीयता विस्तार, उमंग, उत्साह, सामाजिक समानता-समरता का भी पर्व है। उल्लेखनीय है कि गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. पण्ड्या जी के आवाहन पर विश्वभर के परिजनों ने इस वर्ष रंगों के महापर्व होली को कोरोना वायरस एवं दिल्ली दंगा के कारण नहीं मनाने का संकल्प लिया था, जिसके कारण शांतिकुंज सहित विश्व भर के प्रज्ञा संस्थानों ने धुलिवंदन का कार्यक्रम स्थगित रहा। इससे पूर्व होली महापर्व के दौरान आयोजित सामूहिक जप में सैकड़ों लोगों ने भागीदारी की, तो वहीं दिल्ली दंगा में दिवंगत हुए लोगों की आत्मा की शांति एवं सद्गति हेतु विशेष सामूहिक जप साधना की गयीं। बहिनों द्वारा संचालित हवन में देश के समग्र विकास हेतु विशेष वैदिक मंत्रों से आहुतियाँ दी गयीं। यहाँ बताते चलें कि दिल्ली में हुए दंगा के कारण देसंविवि में फूलों की होली व शांतिकुंज में होली के कई कार्यक्रम स्थगित रहे।वहीं इस अवसर पर संगीत विभाग भाइयों ने होली पर्व की गीत व भजन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र, देसंविवि के कुलपति शरद पारधी सहित देश के कोने-कोने से आये साधकगण सहित शांतिकुंज, देसंविवि परिवार व ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के डॉक्टर्स व वैज्ञानिक सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
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