देहरादून: घाटे के चलते बंदी की कगार पर पहुंची टाइटन की असेंबलिंग यूनिट के कर्मचारियों में शिफ्टिंग की सुगबुगाहट को लेकर उबाल है। इसके विरोध में कंपनी के 100 से ज्यादा कर्मचारियों ने खुद को कंपनी में ही 24 घंटे तक कैद रखा। शिफ्ट खत्म होने के बाद भी कर्मचारी फैक्ट्री से बाहर नहीं निकले। कर्मचारियों के घर न लौटने पर चिंतित परिजन फैक्ट्री पहुंचे। मगर, न तो उन्हें कंपनी के अंदर जाने दिया गया और न कर्मचारियों से बात ही कराई गई।
मामला इतना बढ़ा कि दोपहर के वक्त सिटी मजिस्ट्रेट और असिस्टेंट लेबर कमिश्नर को फैक्ट्री आना पड़ा। उनसे काफी देर तक चली वार्ता के बाद कर्मचारी अपने घरों को लौट गए। वहीं, प्रशासन ने कंपनी प्रबंधन को सभी दस्तावेजों और कर्मचारियों के ब्योरे के साथ तलब किया है।
दून के मोहब्बेवाला इंडस्ट्रिल एरिया में स्थित टाइटन की असेंबलिंग यूनिट में 150 कर्मचारी कार्य करते हैं। सिटी मजिस्ट्रेट सीएस मर्तोलिया और असिस्टेंट लेबर कमिश्नर उमेश राय ने बताया कि कंपनी प्रबंधन से हुई वार्ता के बाद जो तथ्य सामने आए, उसके अनुसार कंपनी घाटे में चल रही है। इसके चलते कंपनी यहां काम कर रहे कर्मचारियों को रुड़की व पंतनगर प्लांट में शिफ्ट करना चाहती है।
इच्छुक लोगों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प भी दिया गया है। मगर, कर्मचारी वीआरएस और शिफ्टिंग दोनों का विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर कर्मचारी शिफ्ट खत्म होने के बाद भी फैक्ट्री से नहीं निकले। इनमें कई महिला व दिव्यांग कर्मचारी भी शामिल थे। इस दौरान देर रात कुछ महिला कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
हालांकि, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। असिस्टेंट लेबर कमिश्नर उमेश राय ने बताया कि मामले पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कंपनी प्रबंधन को तलब किया गया है।
रात भर जमे रहे फैक्ट्री के बाहर
देर रात तक कर्मचारी घर नहीं पहुंचे तो उनके परिजन चिंतित हो उठे। कई कर्मचारियों के परिजन रात में ही फैक्ट्री पहुंच गए, लेकिन उन्हें कर्मचारियों से मिलने नहीं दिया गया। रातभर फैक्ट्री के बाहर जमे रहने के बाद गुरुवार को भी मुलाकात न होने पर परिजनों ने प्रशासनिक व पुलिस अफसरों को फोन किया।
सुबह करीब 11 बजे आइएसबीटी चौकी इंचार्ज आशीष गुसाईं फैक्ट्री पहुंचे और कंपनी के अधिकारियों से बात की, मगर फिर भी कर्मचारी बाहर नहीं निकले।
कंपनी ने नहीं दी कोई जानकारी
कर्मचारियों को बंधक बनाया गया या फिर वह खुद फैक्ट्री में कैद हुए, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। इसपर कंपनी का पक्ष जानने का प्रयास भी किया गया, लेकिन देर रात तक उनकी ओर से बयान जारी नहीं किया गया।
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