By :- अमित कुमार
महाराष्ट्र। कौथिग में भाग लेने आ रहे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सृष्टि चक से बात करते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने दशकों पूर्व उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों को छोड़ तरक्की की उम्मीद में मैदानों का रुख किया और दशक-दर-दशक खूब तरक्की की।
….पर जिस गति से हमने तरक्की की, उससे दुगुनी गति से खोने का सिलसिला चल पड़ा !
सबसे पहले #सांस्कृतिकपरिवेश खोया…शनैः-शनैः भाषा खोयी…गीतों का सुर मद्धम हुआ…संगीत की गूंज यादें भर रह गयीं…और अंत में ठेठ #पहाड़ीचेहरा भी खो दिया।
बच गया आधुनिक दौड़ में सुविधा-सम्पन्न हो जाने का #सुख और #तसल्ली।
…अब #हम यह जो #खो गया है, उसे #पाने के संघर्षशील मोड़ पर आ खड़े हुए हैं और इस मोड़ पर हमें मिली हैं एक ऐसी शख्सियत जो अपनी जीवन शैली व चेहरे-मोहरे में ठेठ पहाड़ी है और देश की आर्थिक राजधानी में सर्वोच्च पद से प्रवासी उत्तराखंडियों को फिर #पहाड़ी हो जाने की आवाज़ लगा रहा है।कौथिग इस दिशा में निरन्तर काम कर रहा है। इसके लिए कौथिग परिवार बधाई का पात्र हैं।
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