window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); कांग्रेस-एनसीपी से बातचीत की कमान अब उद्धव ठाकरे ने संभाली | T-Bharat
November 25, 2024

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कांग्रेस-एनसीपी से बातचीत की कमान अब उद्धव ठाकरे ने संभाली

राज्य ब्यूरो, मुंबई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस-राकांपा (NCP) के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए बातचीत की कमान खुद संभाल ली है। इसी क्रम में मंगलवार देर रात वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मिले और बुधवार दोपहर बाद उनकी मुलाकात एक पांच सितारा होटल में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से हुई। तीनों दल जल्द ही सरकार बनाने के लिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का दावा कर रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहब थोरात, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे से बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स स्थित ट्राइडेंट होटल में करीब 45 मिनट की मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस-एनसीपी के साथ उनकी बातचीत उचित दिशा में आगे बढ़ रही है। उचित समय पर इसकी जानकारी सबको दी जाएगी।

कांग्रेस नेताओं ने उद्धव ठाकरे सें की बात

दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहब थोरात ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली से उनके वरिष्ठ नेताओं ने मुंबई आकर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से शिवसेना को साथ लेकर सरकार बनाने के संबंध में चर्चा की थी। इसी चर्चा की पृष्ठभूमि में बुधवार को प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने उद्धव ठाकरे से सदिच्छा भेंट की। जल्द ही वह एनसीपी नेताओं के साथ साझा सरकार की शर्तें और न्यूनतम साझा कार्यक्रमों पर चर्चा करेंगे। उसके बाद फिर शिवसेना से बात की जाएगी।

बता दें कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने से पहले जहां राज्यपाल द्वारा बारी-बारी से भाजपा, शिवसेना और राकांपा को सरकार बनाने का न्योता दिया गया था। विधायकों की समुचित संख्या नहीं होने के कारण भाजपा स्वयं पीछे हट गई थी तो शिवसेना को निर्धारित अवधि के भीतर कांग्रेस-एनसीपी का समर्थन हासिल नहीं हो सका। एनसीपी ने भी आवश्यक विधायकों का ब्योरा पेश करने के लिए राज्यपाल से और समय की मांग की थी।

नया गठबंधन ‘महाशिवआघाड़ी’ बनने की प्रक्रिया तेज

लेकिन राज्यपाल ने समय देने के बजाय राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। अब राष्ट्रपति शासन लगने के बाद कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना में नया गठबंधन ‘महाशिवआघाड़ी’ बनाकर सरकार बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। कांग्रेस-राकांपा इस प्रक्रिया में पहले आपसी बातचीत में सभी पहलुओं पर बातचीत करके संतुष्ट हो जाना चाहती हैं। उसके बाद ही वे शिवसेना से बात शुरू करना चाहती हैं।

हाल के विधानसभा चुनाव परिणाम में भाजपा को 105, शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। भाजपा-शिवसेना गठबंधन करके चुनाव लड़े थे, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना कम से कम ढाई साल के लिए अपना मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर भाजपा से अलग हो चुकी है। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी बुधवार को अस्पताल से छुट्टी होते ही दोहराया कि राज्य में मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा। चूंकि एनसीपी की सीटें उससे सिर्फ दो कम हैं इसलिए वह भी कम से कम ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहती है। जबकि 44 सीटों वाली कांग्रेस को पूरे पांच साल के लिए उपमुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है। लेकिन एनसीपी-शिवसेना में पहले मुख्यमंत्री किसका होगा, इसका फैसला करना आसान नहीं होगा।

भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आज से

भाजपा प्रत्यक्ष तौर पर सरकार बनाने की प्रक्रिया से दूर नजर आ रही है, लेकिन उसके कई नेता इस लक्ष्य में जुट गए हैं। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक भी गुरुवार से मुंबई में बुलाई गई है। माना जा रहा है कि बैठक में राष्ट्रपति शासन के दौरान तो सरकार बनाने की कोशिशों पर विचार होगा ही, इसके अलावा प्रदेश में कोई और सरकार बन जाने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा की जाएगी। प्रदेश में कोई और सरकार बनने की स्थिति में भाजपा सदन से सड़क तक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने की तैयारी कर रही है। ताकि मतदाताओं के बीच जाकर विपक्ष में रहीं कांग्रेस-एनसीपी के साथ-साथ अब तक अपने साथ सत्ता में रही शिवसेना की भूमिकाएं उजागर कर सके।

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