मुश्फिकुर रहीम और बांग्लादेश को भारत के खिलाफ टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में नौ प्रयासों में अपनी पहली जीत के लिए काफी कुछ श्रेय जाता है, लेकिन ऐसे बहुत सारे सबक हैं जिनसे सीख लेकर मेजबान टीम इस प्रारूप में अपनी लगातार दूसरी हार से बच सकती है। टीम को प्रतिस्पर्धात्मक स्कोर तक पहुंचाने के लिए समान रूप से सेट बल्लेबाजों को 17वें या 18वें ओवर तक गहराई से बल्लेबाजी करनी चाहिए।
टीम में शामिल युवा खिलाडि़यों को हर मैच को मुख्य टूर्नामेंट के लिए ऑडिशन के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह निश्चित रूप से उन्हें अनिश्चितता की ओर और उस स्वाभाविक खेल से दूर ले जाएगा, जिसकी बदौलत उन्होंने इस खेल की इतनी सेवा की है और जो उन्हें इस स्तर पर लाया है। केएल राहुल और श्रेयस अय्यर ने अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई, लेकिन वे ज्यादा देर तक नहीं चल सके।
शिखर धवन ने जोरदार शुरुआत दी, लेकिन वह रिषभ पंत के साथ गफलत का शिकार होकर रन आउट हो गए। बांग्लादेश युवा लेग स्पिनर अमिनुल इस्लाम ने जिस तरह का दिल और प्रतिभा दिखाई उससे मैं काफी प्रभावित हुआ। वह एक अनुकूल पिच पर गेंद को फ्लाइट करने से नहीं डर रहे थे और उन्हें इसके पुरस्कार के रूप में राहुल और श्रेयस के अहम विकेट मिले।
यकीनन, क्रुणाल पांड्या और वाशिंगटन सुंदर की शानदार पारियों के बिना भारत 148 के स्कोर तक नहीं पहुंच पाता। क्रुणाल और सुंदर ने टी-20 में अपनी बल्लेबाजी पर काफी मेहनत की और अब उन्हें इसका पुरस्कार मिल रहा है। ब्रेक के समय लय भारत के साथ थी और उन्होंने गेंद के साथ अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन मुश्फिकुर की एक मास्टर क्लास पारी की वजह से वे ठगे से रह गए।
स्पिनरों पर उन्होंने पारंपरिक शॉट और रिवर्स स्वीप खेले, जबकि तेज गेंदों को उन्होंने क्रीज के अंदर जाकर देर से खेला। टी-20 में अपनी वापसी करने वाले चहल पहले टी-20 में भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे, लेकिन मुश्फिकुर ने 19वें ओवर में खलील अहमद पर चार लगातार चौके जड़ते हुए मुकाबले को खत्म कर दिया था। बांग्लादेश ने चुनौती स्वीकार कर ली है और अब राजकोट में दूसरे मैच में भारत को जवाब देना होगा।
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