नवीन नवाज। जम्मू-कश्मीर में एक निशान का सपना पूरा हो गया है। श्रीनगर स्थित राज्य सचिवालय में राष्ट्र ध्वज के साथ लहराने वाला जम्मू-कश्मीर का ध्वज 67 साल बाद रविवार को उतार दिया गया। सचिवालय समेत राज्य में सभी संवैधानिक संस्थानों की इमारतों पर केवल तिरंगा लहरा रहा है। पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 हटने के बाद राज्य के ध्वज की अहमियत समाप्त हो गई थी।
अनुच्छेद-370 के विशेष प्रावधानों के तहत जम्मू-कश्मीर का अलग निशान (ध्वज) और अलग विधान था। राज्य के लाल रंग के झंडे पर हल का निशान और तीन पट्टियां थी। यह तीन सफेद पट्टियां राज्य के तीन प्रांतों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का प्रतिनिधित्व करती थीं। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि पहले यह विचार था कि जम्मू कश्मीर के ध्वज को 31 अक्टूबर 2019 को ही उतारा जाए।
क्योंकि उसी दिन से जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्यों के तौर पर अस्तित्व में आते। लेकिन बाद में विचार आया कि अब इस ध्वज की संवैधानिक या कानूनी तौर पर किसी तरह की अहमियत नहीं रह गई है। इसलिए किसी भी दिन इसे उतारा जा सकता था। ऐसे में इसे रविवार को उतार लिया गया। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि पहले कश्मीर की कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसे तत्काल नहीं उतारा गया। अब हालात सामान्य हैं। लोग बदलाव के पक्ष में नजर आ रहे हैं। इसलिए यह ध्वज उतर लिया गया है।
समझौते के बाद मिला था झंडा
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला 1952 में केंद्र और राज्य की शक्तियों को लेकर समझौता हुआ था। इस समझौते में दोनों ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज और जम्मू-कश्मीर के झंडे को राज्य का झंडा माना था।
अनुच्छेद 370 की धारा चार में तय हुआ था झंडा
अनुच्छेद 370 की धारा चार में लिखा गया था। केंद्र सरकार राष्ट्रीय ध्वज के साथ राज्य सरकार के अपने झंडे को लेकर सहमति जताती है, लेकिन राज्य सरकार इस पर सहमत है कि राज्य का झंडा केंद्रीय झंडे का प्रतिरोधी नहीं होगा। यह भी मान्यता दी जाती है कि केंद्रीय झंडे का जम्मू और कश्मीर में वही दर्जा और स्थिति होगी जो शेष भारत में है लेकिन राज्य में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े ऐतिहासिक कारणों के लिए, राज्य के झंडे को जारी रखने की जरूरत को मान्यता दी गई है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के संविधान में भी इस झंडे को अपनाया गया। जम्मू कश्मीर संविधान का अनुच्छेद 144 भी इसे मान्यता प्रदान करता
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