window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); हत्या के केस में जूवेनाइल कोर्ट ने 54 साल के नाबालिग को सुनाई सफाई करने की सजा | T-Bharat
September 22, 2024

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हत्या के केस में जूवेनाइल कोर्ट ने 54 साल के नाबालिग को सुनाई सफाई करने की सजा

पीलीभीत । उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में जूवेनाइल बोर्ड ने 38 साल पुराने हत्या के एक मामले में 54 वर्षीय शख्स को अस्पताल और पोस्टमॉर्टम हाउस में झाड़ू लगाने की सजा सुनाई है। पीलीभीत की जिला कोतवाली में 11 दिसंबर 1980 को दर्ज इस मामले में कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला दिया। जिस अभियुक्त को जूवेनाइल कोर्ट ने फैसला दिया, वह इस केस के संबंध में 5 महीने 15 दिनों तक जेल में रह चुका है।
जानकारी के मुताबिक, 38 वर्ष पहले पीलीभीत के जिला कोतवाली थानाक्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने उसके दादा से झगड़ा कर रहे 40 वर्षीय शख्स पर चाकू से कई बार वार किया था। इस संबंध में घटना के दिन ही जिला कोतवाली में मामला दर्ज किया गया था। वहीं हमले में घायल शख्स की 9 दिनों के इलाज के बाद मौत हो गई थी। पुलिस ने इस संबंध में केस दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार किया था। बाद में एक बालिग अभियुक्त की तरह मामले की सुनवाई करते हुए स्थानीय अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस आदेश के बाद अभियुक्त को जेल भेज दिया गया था, जहां वह करीब साढ़े 5 महीने तक कारावास की सजा काटता रहा।
पहले सुनाई गई थी आजीवन कारावास की सजा
इसी दौरान जमानत मिलने के बाद पुलिस ने उसे जेल से रिहा कर दिया। जेल से बाहर आए उक्त अभियुक्त ने बाद में एक आम जिंदगी शुरू की। इस घटना के करीब 31 साल बीत जाने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 4 दिसंबर 2012 को अपना आदेश सुनाया और घटना के समय अभियुक्त को नाबालिग बताते हुए इसे जूवेनाइल बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया। इस केस में जूवेनाइल बोर्ड की ओर से जज सुदेश कुमारी और अन्य ने फैसला सुनाते हुए आरोपी शख्स को तीन साल तक पीलीभीत के जिला अस्पताल और पोस्टमॉर्टम हाउस की सफाई करने की सजा सुनाई।
हाई कोर्ट में अपील करने की तैयारी
इस मामले में अभियुक्त के वकील विवेक पाण्डेय ने कहा कि जूवेनाइल कोर्ट ने अब तक के इतिहास में पहली बार 54 साल के किसी नाबालिग अभियुक्त को सजा सुनाई है। वकील विवेक पाण्डेय ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय में अपील करने पर विचार किया जा रहा है और हम फैसले के पहलुओं पर अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने अपनी सजा में अभियुक्त को कोई भी साप्ताहिक छुट्टी या दैनिक कामकाज में भोजनावकाश भी नहीं दिया है, ऐसे में इस पक्ष पर ही हाई कोर्ट में अपील करने की तैयारी की जा रही है।

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