window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); भारतीय एयरलाइंस की उड़ान पर भारी पड़ेगी रुपये की कमजोरी | T-Bharat
November 24, 2024

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भारतीय एयरलाइंस की उड़ान पर भारी पड़ेगी रुपये की कमजोरी

नई दिल्ली । देश की एविएशन इंडस्ट्री अभी मुश्किल दौर से गुजर रही है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 75 पर जाता है तो इससे देश की एक एयरलाइन के दिवालिया होने की आशंका है। 2008 में ग्लोबल क्रेडिट क्राइसिस और ऑइल के हाई प्राइसेज के दोहरे झटकों से विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को बड़ा नुकसान हुआ था और वह 2012 में दिवालिया हो गई थी।
इस समय स्थिति और खराब है। देश में एयरलाइंस की संख्या बढ़ गई है और उनके बीच मार्केट शेयर के लिए कड़ा कॉम्पिटिशन है। एयरलाइंस की बैलेंस शीट बहुत मजबूत नहीं है जिससे वे अधिक नुकसान नहीं उठा सकतीं।
जून क्वॉर्टर में सभी 3 लिस्टेड एयरलाइंस ने बड़ा नुकसान उठाया था या उनके प्रॉफिट में भारी गिरावट आई थी। बजट एयरलाइन इंडिगो के प्रॉफिट में बड़ी गिरावट आई थी और यह 28 करोड़ रुपये रह गया था, जो इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में 811 करोड़ रुपये था। जेट एयरवेज ने जून क्वॉर्टर में 1,323 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया, जबकि पिछले वर्ष के समान क्वॉर्टर में इसे 53 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ था। स्पाइसजेट का लॉस 38 करोड़ रुपये रहा, जबकि एक वर्ष पहले की समान अवधि में उसने 175 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हासिल किया था।
सितंबर क्वॉर्टर में लगेगी चपत!
जून क्वॉर्टर आमतौर पर सभी एयरलाइंस के लिए सबसे प्रॉफिटेबल माना जाता था और इस वजह से सितंबर क्वॉर्टर में एयरलाइंस के नुकसान और बढऩे की आशंका है। इसके बाद दिसंबर क्वॉर्टर एयरलाइंस के लिए न्यू ईयर की छुट्टियों के कारण कुछ बेहतर रह सकता है। लेकिन चौथे क्वॉर्टर में इनके लिए मुश्किलें फिर से बढ़ सकती हैं।
एक ऐनालिस्ट ने बताया कि भारतीय करंसी के हर बार डॉलर के मुकाबले 1 रुपया कमजोर होने पर इंडिगो जैसी एयरलाइन को प्रत्येक महीने लगभग 20 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं क्योंकि अधिकतर एयरलाइंस की कॉस्ट डॉलर में होती है।
पिछले वर्ष से डॉलर के मुकाबले रुपया 65 से गिरकर 72 पर पहुंच गया है। रुपये में इस 15 पर्सेंट की कमजोरी से एयरलाइंस की कुल कॉस्ट लगभग 11 पर्सेंट बढ़ जाएगी। एयरलाइंस कॉस्ट में बढ़ोतरी के असर को किराए बढ़ाकर पास नहीं कर पा रही।
इसका मतलब है कि अगर रुपया मौजूदा स्तर पर बरकरार रहता है तो केवल इंडिगो को करीब 1,700 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कॉस्ट उठानी होगी। जेट एयरवेज, स्पाइसजेट और एयर इंडिया, विस्तारा सहित सभी एयरलाइंस के लिए नुकसान लगभग 4,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। अगर रुपया 75 के स्तर तक जाता है तो इससे एयरलाइंस की कॉस्ट में 6,000 करोड़ रुपये तक की सालाना बढ़ोतरी हो सकती है।
एयरलाइन बिजनस में मार्जिन बहुत कम होता है और दुनियाभर में एयरलाइंस 3-5 पर्सेंट के मार्जिन पर ही चलती हैं। एयर इंडिया, जेट एयरवेज, विस्तारा और एयर एशिया ने पिछले फाइनैंशल इयर में कॉस्ट नियंत्रण में होने पर भी नुकसान उठाया था।
प्रॉफिट के लिए 20 प्रतिशत बढ़ाना होगा किराया!
हवाई किराए पिछले वर्ष से अभी निचले स्तर पर हैं और इससे एयरलाइंस की मुश्किलें और बढ़ी हैं। रेटिंग एजेंसी इकरा की जेट एयरवेज जैसी एयरलाइंस को ट्रैक करने वाली ऐनालिस्ट किंजल शाह ने बताया, प्रत्येक अतिरिक्त रुपये की कमजोरी से एयरलाइंस के प्रॉफिट मार्जिन पर 0.48-0.69 पर्सेंट का असर पड़ता है। कुछ एयरलाइंस ने फॉरन करंसी में कर्ज भी लिया है, जिससे उनके इंटरेस्ट के भुगतान में वृद्धि होगी।
एक ऐनालिस्ट ने कहा कि स्थिति 2008 में एयरलाइंस के लिए वित्तीय संकट जैसी खराब हो रही है। एनालिस्ट के अनुसार, 2008 में रुपया डॉलर के मुकाबले लगभग 43 पर और क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल पर था। अब रुपया 72 पर है और क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल पर, इसका 2008 के जैसा ही असर होगा।
बोइंग के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (एशिया पसिफिक और भारत) दिनेश केसकर भी इससे सहमत हैं। उन्होंने कहा, फ्यूल की कॉस्ट 2008 के स्तर पर पहुंच रही है और रुपया भी बहुत कमजोर हुआ है। एविएशन फ्यूल का प्राइस लगभग 2008 के स्तर पर पहुंच गया है। यह एक बड़ी चिंता है। केसकर ने बताया कि एयरलाइंस को प्रॉफिट में आने के लिए किराए 20 पर्सेंट तक बढ़ाने होंगे।
दूसरी तरफ, एविएशन कंसल्टिंग फर्म कापा का कहना है कि हवाई किराए में और कमी हो सकती है। कापा के सीईओ (साउथ एशिया) कपिल कौल ने कहा, कपैसिटी की मौजूदा स्थिति में किराए बढ़ाने का कोई सवाल नहीं है।
भारतीय एयरलाइंस ने पिछले फाइनैंशल इयर में 88 नए विमान जोड़े हैं और मौजूदा फाइनैंशल इयर में 136 और विमान जोड़े जा रहे हैं। भारतीय एयरलाइंस मार्च तक अपना कुल बेड़ा बढ़ाकर लगभग 700 विमानों का कर लेंगी। यह हाल के वर्षों में सबसे अधिक ग्रोथ हो सकती है।
एयरलाइंस के लिए अगले दो क्वॉर्टर बहुत महत्वपूर्ण हैं और इससे उनके आगे के बिजनस की राह तय हो सकती है।

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