window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); रामचरितमानस पर टिप्पणी को मायावती ने बताया- दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण, सपा और BJP पर लगाया मिलीभगत का आरोप | T-Bharat
September 24, 2024

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रामचरितमानस पर टिप्पणी को मायावती ने बताया- दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण, सपा और BJP पर लगाया मिलीभगत का आरोप

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जमीन पर रामचरित मानस का मुद्दा लगातार गरमाया हुआ है, बीजेपी और सपा के मध्य चल रहे वार-पलटवार के दौर के बीच मायावती ने भी टिप्पणी करके सूबे का सियासी पारा बढ़ा दिया है। बीएसपी चीफ ने अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इस पूरे प्रकरण को बीजेपी और सपा की मिलीभगत करार दिया है। उन्होंने कहा कि जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करना बीजेपी की पहचान है लेकिन अब सपा भी उसी रास्ते पर है जोकि दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के जरिए टिप्पणी करते हुए कहा कि संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि बीजेपी की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है लेकिन रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।

सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए बीएसपी सुप्रीमों ने कहा कि रामचरितमानस के खिलाफ सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।

उन्होंने इशारों ही इशारों में अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हुए पिछले आमचुनाव को भी सपा-भाजपा ने षडयंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिए घोर साम्प्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया, जिससे ही भाजपा दोबारा से यहां सत्ता में आ गई। ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी की तो समाजवादी पार्टी और बीजेपी आमने सामने आ गई। अखिलेश ने इस विवाद पर खुलकर प्रतिक्रिया तो नहीं दी लेकिन कार्रवाई की मांग के बीच पार्टी में उनका ओहदा बढ़ाकर अपने रुख को संकेतों के जरिए स्पष्ट कर दिया। ऐसे में अब सपा खुलकर इस विवाद पर बीजेपी से दो दो हाथ करने की तैयारी में है।

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