window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नेताओं को दायित्व देकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं | T-Bharat
September 25, 2024

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केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नेताओं को दायित्व देकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं

देहरादून:  विभिन्न निगमों, प्राधिकरणों व आयोगों में मंत्री पद के दर्जे के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पदों की आस लगाए भाजपा नेताओं की साध नववर्ष की शुरुआत में पूर्ण होगी।

सूत्रों के अनुसार प्रदेश भाजपा ने दायित्व वितरण के मद्देनजर सौ से अधिक नेताओं की सूची तैयार की है। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जनवरी में 25 से 30 नेताओं को दायित्व देकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं। फिर चरणबद्ध ढंग से दायित्व बांटे जाएंगे।

अल्प कार्यकाल के दौरान दायित्व वितरित नहीं हो पाए थे

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पिछले अल्प कार्यकाल के दौरान दायित्व वितरित नहीं हो पाए थे। इस वर्ष धामी के नेतृत्व में दोबारा भाजपा की सरकार बनने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि जल्द ही दायित्व वितरण होगा, लेकिन पिछले आठ माह से विभिन्न कारणों से यह विषय लटकता आ रहा था।

कभी चंपावत सीट के उपचुनाव, तो कभी हरिद्वार के पंचायत चुनाव और फिर पार्टी के सांगठनिक ढांचे में फेरबदल इसके कारण रहे हैं। इस बीच पार्टी के बीच से आवाज उठी कि जब दायित्व दिए ही जाने हैं, तो इसमें विलंब किया जाना ठीक नहीं है।

सूत्रों के अनुसार इस सबको देखते हुए भाजपा के प्रांतीय नेतृत्व ने सभी जिलों से दायित्व वितरण के मद्देनजर नाम जुटाए और अब इसकी सूची तैयार कर ली है। इसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, कुछेक पूर्व विधायकों, पूर्व दायित्वधारियों, क्षेत्र विशेष में पकड़ रखने वाले कार्यकर्ताओं को कसौटी पर परखकर इनके नाम सूची में रखे गए हैं।

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश महामंत्री संगठन के मध्य सूची में शामिल किए गए नामों को लेकर दो बार मंथन भी हो चुका है। अब यह सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा रही है। प्रयास यह किया जा रहा कि जनवरी की शुरुआत से ही दायित्व वितरण प्रारंभ कर दिया जाए।

भाजपा ऐसी पार्टी है, जिसमें सभी कार्य समय पर होते हैं। सरकार व संगठन वरिष्ठ कार्यकत्र्ताओं को सहभागिता देना चाहती है, ताकि उनके अनुभवों का लाभ राज्य को मिल सके। इस कड़ी में दायित्व वितरण को लेकर कसरत चल रही है।

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