window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है श्रीमद्भागवत कथाः आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास | T-Bharat
September 25, 2024

TEHRIRE BHARAT

Her khabar sach ke sath

मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है श्रीमद्भागवत कथाः आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास

हरिद्वार। बनखंडी साधु बेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा जीवन जीने की कला सिखाती है और व्यक्ति के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। जो श्रद्धालु भक्त कथा का श्रवण कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। भूपतवाला स्थित साधु बेला आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के पहले दिन महिला श्रद्धालु भक्तों एवं संतों ने सर्वानंद घाट से साधु बेला आश्रम तक भव्य कलश शोभायात्रा निकाली। श्रद्धालु भक्तों को कथा का श्रवण कराते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि मोक्षदायिनी मां गंगा के तट पर कथा श्रवण का महत्व सहस्त्र गुना पुण्य फलदाई होता है। वास्तव में कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। कथा व्यास महंत बलराम मुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के दर्शन जो व्यक्ति कर लेता है। उसे सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है। वास्तव में श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। यह एक ऐसा ग्रंथ है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जागृत हो जाता है और कथा श्रवण का लाभ तभी है, जब हम इसमें निहित ज्ञान को आत्मसात कर उसे अपने जीवन व्यवहार में शामिल करें। इसलिए सभी को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने कहा कि कथाएं तो अनवरत रूप से जारी धार्मिक अनुष्ठान है। लेकिन श्रीमद् भागवत कथा की प्रस्तुति मन को स्वंदित करती है। देश विदेशमें सनातन धर्म संस्कृति की पताका फहरा रहे आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज आशीर्वाद के पात्र हैं। संत महापुरुषों के आशीर्वाद से आज भारत पूरे विश्व को गौरवान्वित कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसे मोक्ष प्रदान करती है। इस अवसर पर गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, भक्त दुर्गादास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत दिनेशदास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, सुनील आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

news
Share
Share