देहरादून। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाषनगर में आयोजित सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी मन्जू बहन ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण को मनमोहन, मुरलीधर, पीताम्बरी, मोरमुकुटधारी, आदि नामों से याद किया जाता है।
वास्तव में श्रीकृष्ण की महिमा संसार में सर्वोत्कृष्ट है क्योंकि वे सर्वगुण सम्पन्न, सोलह कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरूषोत्तम, सम्पूर्ण अहिंसक थे। उनका गायन-पूजन उनके दिव्य गुणों पर आधारित है। जिनका मन अर्थात संकल्प इतने सुन्दर कि वे मनमोहन कहलाए। ईश्वर पर सर्वसमर्पण द्वारा जिन्होंने सुख-चैन की वंशी बजाई तथा सर्व के साथ संस्कार-मिलन का रास रचाया।
जो पवित्रता का प्रतीक, मोर पंख को मुकुट पर धारण करने वाले, वैभव-सम्पन्न पीताम्बरी रहे। जिन्होंने सतयुग के प्रथम विश्व राजकुमार के रूप में जन्म लिया। ऐसे वैकुण्ठवासी श्रीकृष्ण का सान्निध्य हम मनुष्य भी प्राप्त कर सकते हैं। इस समय उसी सतयुगी दुनिया का निर्माण हो रहा है जबकि भारत में परमपिता परमात्मा शिव बाबा आध्यात्मिक ज्ञान तथा राजयोग से मनुष्यात्माओं में दिव्यता, पवित्रता, सत्यता, एकता, मधुरता, आदि गुणों एवं शक्ति को भर कर नर से श्री नारायण, नारी से श्री लक्ष्मी बना रहे हैं।
यह खुशखबरी है कि मानव देव बन रहा है, कलियुग जा रहा है, सतयुग आ रहा है, श्रीकृष्ण पुनः सृष्टि पर आ रहे हैं।
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