window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); हत्या के प्रयास में दोषी को सात वर्ष का कठोर कारावास | T-Bharat
January 20, 2025

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हत्या के प्रयास में दोषी को सात वर्ष का कठोर कारावास

विकासनगर। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राहुल गर्ग की अदालत ने घर में घुस कर हत्या के प्रयास के मामले में दोषी को सात वर्ष के कठोर कारावास कारावास की सजा और दस हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं, घर में घुसने के मामले में एक वर्ष का कारावास और दो हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। इस मामले में एक आरोपी की मुकदमे के दौरान मौत हो गयी। जबकि एक आरोपी महिला का केस अलग कर दिया गया, जो अभी अदालत में लंबित है।
17 अगस्त 2017 को चतर सिंह पुत्र नौरतू राम निवासी मेहूंवाला ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि जमीन के बंटवारे को लेकर उनका महेंद्र, उसकी पत्नी ममता और बेटे अमित से विवाद चल रहा था। इसमें 17 अगस्त को सुबह आठ बजे उसका बेटा हरि सिंह और उनकी पत्नी घर पर थे। हरि सिंह काम पर जाने की तैयारी कर रहा था। आरोप था कि तभी अमित, उसके पिता महेंद्र और पत्नी ममता हरि सिंह के घर में घुस गये। जहां ममता ने हरि सिंह के हाथ पकड़ लिये। अमित ने कौंचे से हरि सिंह के सिर पर हमला किया जिससे उन्हें गंभीर चोटें पहुंची। हमले में हरि सिंह की पत्नी को भी घायल कर दिया। बताया कि तब हरि सिंह को सीएचसी विकासनगर में भर्ती कराया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद हरि सिंह को श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में भर्ती कराया गया। हरिसिंह के सिर का ऑपरेशन किया गया जिसमें उसके सिर में प्लेटें डालकर जान बचाई गई। करीब पंद्रह दिन बाद हरि सिंह को होश आया था। इस मामले में पुलिस ने हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया था। पांच वर्ष तक चले मुकदमे के दौरान आरोपी महेंद्र सिंह की मौत हो गयी। जबकि ममता ने गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था। इसके बाद ममता के केस की फाइल अलग कर दी गयी थी। इस मामले में अभियोजन पक्ष के सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेश चंद्र बहुगुणा की ओर से पेश किये गये साक्ष्यों और दलीलों के साथ बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीले सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राहुल गर्ग की अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने अमित को दोषी करार देते हुए सात वर्ष के कठोर कारावास और दस हजार के अर्थदंड से दंडित करने की सजा सुनाई।

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