window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); उत्तराखण्ड में स्वरोजगार को मिलेगा बढ़ावा | T-Bharat
September 23, 2024

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उत्तराखण्ड में स्वरोजगार को मिलेगा बढ़ावा

देहरादून । उत्तराखंड सरकारी शिक्षा में लगातार विभाग नए-नए प्रयोग कर रहा है। केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रदेश के 200 स्कूलों के कक्षा 9 से लेकर 12 तक स्वरोजगार से जुड़ी कक्षाओं के संचालन किया जा रहा था। अब स्थानीय रोजगार से जोड़कर शिक्षा विभाग इसे अपग्रेड कर रहा है। अब सरकारी स्कूलों में स्थानीय कृषि सहित बागवानी और फूलों के उत्पादन की अतिरिक्त स्मार्ट कक्षाएं छात्र-छात्राओं के लिए संचालित की जाएंगी। इसका सबसे अधिक लाभ ग्रामीण क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को स्कूली शिक्षा से पास आउट होने के बाद मिल सकता है।
केंद्र सरकार की योजना के तहत उत्तराखंड के करीब 200 स्कूलों में प्लंबरिंग सहित ब्यूटीशियन और अन्य स्वरोजगार से जुड़े वोकेशनल कोर्स चलाए जा रहे हैं। जिसमें केंद्र सरकार की अनुमति और योजना के बाद अब लोकल फॉर वोकल की तर्ज पर उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों से जुड़े वोकेशनल कोर्स जोड़े जा रहे हैं। वहीं इस वर्ष केंद्र सरकार की ओर से 239 अन्य विद्यालयों में यह वोकेशनल कोर्स शुरू करने की अनुमति दी गई है। जिससे अब प्रदेश के 439 स्कूलों में कक्षा 9 से लेकर 12 तक पूर्व में चलाई जा रही आठ ट्रेड के साथ ही स्थानीय उत्पादों के उत्पादन सम्बंधित गुर भी छात्र-छात्राओं को सिखाए जाएंगे। जिससे छात्र-छात्राओं को अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका भी मिल सकेगा।
पहाड़ की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए यहां पर कृषि और बागवानी सहित फूलों की खेती में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार की ओर से बागवानी और फूलों की खेती की अतिरिक्त कक्षाएं छात्र-छात्राओं के लिए शुरू करवाई जा रही हैं। जिसके लिए स्कूलों के हाईटेक लैब के साथ ही ऑनलाइन कक्षाएं विशेषज्ञ भी छात्र-छात्राओं को देंगे। अगर प्रदेश सरकार की योजना सफल होती है, तो आने वाले समय में स्कूल से स्वरोजगार की प्रदेश के लिए युवाओं की एक नर्सरी सीधे तौर पर तैयार होगी। महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी में कहा अब केंद्र सरकार की ओर से तकनीकी और रोजगार परक शिक्षा के लिए 239 स्कूलों में शुरू करने की अनुमति दी गई है। अब कुल मिलाकर 439 स्कूलों  में यह शिक्षा दी जाएगी। इस बार स्थानीय उत्पादों की शिक्षा को इसमें शामिल किया गया है।

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